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मनोरंजन

पंचायत सीजन 4 रिव्यू: राजनीति के साए में फुलैरा की सादगी फीकी पड़ी

एंटरटेनमेंट डेस्क
Last updated: June 26, 2025 5:55 am
एंटरटेनमेंट डेस्क
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Panchayat Season 4
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बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज ‘पंचायत’ का चौथा सीजन 24 जून 2025 को अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुआ और रिलीज़ के साथ ही यह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता और रघुवीर यादव जैसे मजबूत कलाकारों की वापसी के बावजूद, इस बार कहानी की दिशा और भावनाओं को लेकर दर्शकों की राय बंटी हुई है।

Contents
राजनीति में उलझी फुलैरा की कहानीक्या है सीजन 4 की खासियत?कहाँ चूकी सीरीज?सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियानिष्कर्ष

राजनीति में उलझी फुलैरा की कहानी

सीजन 4 की कहानी फुलैरा पंचायत चुनावों के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां मंजू देवी (नीना गुप्ता) और क्रांति देवी (सुनीता राजवार) के बीच चुनावी जंग छिड़ जाती है। इस बार चुनावी चिन्ह लौकी और प्रेशर कुकर जैसे देसी प्रतीकों के साथ गांव की राजनीति और जोड़-तोड़ को बारीकी से दिखाया गया है। हालांकि, जहां पहले के सीजन में गांव की सादगी, हास्य और मानवीय भावनाओं की प्रधानता थी, वहीं इस बार राजनीति और टकराव ने शो की मासूमियत को कहीं पीछे छोड़ दिया है।

क्या है सीजन 4 की खासियत?

  • अभिनय: जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता और रघुवीर यादव समेत पूरी स्टारकास्ट ने एक बार फिर शानदार अभिनय किया है, जो दर्शकों को फुलैरा की गलियों में ले जाता है।
  • ग्रामीण राजनीति की झलक: पंचायत चुनावों की हलचल, चुनावी रणनीति और गांव की राजनीति को यथार्थवादी ढंग से दिखाया गया है।
  • इमोशनल और रियलिस्टिक टोन: सीरीज के कुछ एपिसोड्स में भावनाओं की गहराई और ग्रामीण जीवन की सच्चाई अब भी बरकरार है।

कहाँ चूकी सीरीज?

  • कॉमेडी और ताजगी की कमी: कई दर्शकों को लगा कि इस बार हास्य और हल्के-फुल्के पलों की जगह राजनीति और गंभीरता ने ले ली है, जिससे सीरीज की मूल आत्मा कहीं खो गई।
  • धीमी गति और खिंचाव: चुनावी ड्रामा के चलते कहानी कई जगह खिंची हुई और धीमी महसूस होती है, खासकर फिनाले में।
  • फिनाले पर निराशा: ‘डबडबा’ नामक अंतिम एपिसोड को अब तक का सबसे कमजोर फिनाले बताया जा रहा है, जिससे कई फैंस निराश हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर दर्शकों ने सीजन 4 के फिनाले को लेकर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। कुछ ने इसे ‘सबसे खराब एंडिंग’ बताया, तो कईयों ने लिखा कि राजनीति की अधिकता ने शो की सादगी को खत्म कर दिया। वहीं, कुछ पुराने फैंस अब भी सीरीज की कहानी, किरदारों और ग्रामीण जीवन की झलक को पसंद कर रहे हैं।

निष्कर्ष

‘पंचायत’ का चौथा सीजन अभिनय और ग्रामीण राजनीति की यथार्थता के लिए जरूर देखा जा सकता है, लेकिन इसकी मूल सादगी और हास्य की कमी दर्शकों को खल सकती है। फिनाले के क्लिफहैंगर ने अगले सीजन के लिए उत्सुकता जरूर जगा दी है, लेकिन इस बार ‘पंचायत’ अपने ही बनाए मानकों पर थोड़ी कमजोर नजर आई है।

TAGGED:Panchayat Season 4
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