La Cavalerie, फ्रांस : भारत और फ्रांस के बीच सैन्य सहयोग को एक नया आयाम देते हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘Shakti 2025’ का आठवां संस्करण आज फ्रांस के La Cavalerie सैन्य स्टेशन पर औपचारिक उद्घाटन समारोह के साथ प्रारंभ हो गया। यह बहुप्रतीक्षित अभ्यास भारतीय सेना और फ्रांसीसी सेना के बीच सामरिक तालमेल और क्षमता विकास की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
इस संयुक्त अभ्यास ‘शक्ति’ का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच बहु-आयामी अभियानों (Multi-Domain Operations) में समन्वय, लचीलापन और साझा कार्यप्रणाली विकसित करना है, विशेष रूप से ऐसे परिदृश्यों में जो Sub-Conventional Environment यानी आतंकवाद, उग्रवाद और शहरी संघर्ष जैसे गैर-पारंपरिक युद्ध क्षेत्रों से संबंधित हों।
यह अभ्यास अंतर-संचालन (Interoperability), आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने का एक प्लेटफॉर्म भी है, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य कूटनीति (Defence Diplomacy) को मजबूती मिलती है।
प्रमुख विशेषताएं
- यह अभ्यास प्रत्येक दो वर्षों में आयोजित किया जाता है और 2011 से इसकी शुरुआत हुई थी।
- इस वर्ष की थीम: “Urban Counter-Terrorism Operations in a Multinational Environment”
- भारतीय सेना की ओर से एक इंफैंट्री बटालियन ग्रुप (लगभग 90 सैनिकों की टुकड़ी) इस अभ्यास में हिस्सा ले रही है।
- फ्रांसीसी सेना की ओर से 21st Marine Infantry Regiment भाग ले रही है।
- दोनों सेनाएं एक-दूसरे की रणनीति, हथियार प्रणाली, शहरी संचालन (Urban Warfare) और कमांड एवं नियंत्रण प्रक्रियाओं का अभ्यास करेंगी।
भारत-फ्रांस रक्षा संबंध
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुआ है। राफेल डील, समुद्री सहयोग (Indian Ocean Region) और साझा रक्षा प्रौद्योगिकी विकास ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। ‘शक्ति’ अभ्यास इस साझेदारी का एक और उदाहरण है, जो दोनों देशों की सेनाओं को एक साझा मंच प्रदान करता है।
अभ्यास के लाभ
- आतंकवाद और चरमपंथ जैसे खतरों के विरुद्ध संयुक्त रणनीति का अभ्यास।
- सैन्य अभियानों में कम्युनिकेशन, डिप्लॉयमेंट और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्रों में साझा अभ्यास।
- दोनों सेनाओं के जवानों के बीच भाईचारा, विश्वास और अनुभव साझा करने का अवसर।
‘शक्ति 2025’ न सिर्फ एक सैन्य अभ्यास है, बल्कि यह भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी और साझा वैश्विक सुरक्षा लक्ष्यों की दिशा में एक अहम कदम है। इस अभ्यास से दोनों देशों की सेनाओं को वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की रणनीतिक तैयारी में मदद मिलेगी।